पिथौरागढ़
मिसालः उत्तराखंड के बहन-भाई की दिल को छू लेने वाली कहानी देशभर में छाई, ऐसे कर रहा है सपना पूरा…
पिथौरागढ़: बहन-भाई का रिश्ता दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता है। लेकिन कलयुग में कुछ भाई रिश्तों को शर्मसार कर रहें है तो वहीं उत्तराखंड का एक ऐसा भाई है जिसका अपनी बहन के प्रति प्यार देश भर में मिसाल पेश कर रहा है। जी हां थौरागढ़ जिले के चमाली गांव निवासी पारस कोहली अपनी दिव्यांग बहन के लिए वो कर रहा है जो कोई कर शायद ही कभी करें। बहन के सपने पूरे करने के लिए भाई न सिर्फ पहाड़ की पहाड़ जैसी समस्याओं सें लड़ा बल्कि किस्मत को भी मात दें रहा है। ये भाई रोजाना दिव्यांग बहन को डोली में बैठाकर बोर्ड परिक्षाएं दिलाने लेकर जाता है। साथ ही खुद भी बोर्ड एग्जाम दे रहा है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार चमाली गांव निवासी पारस कोहली और उनकी बहनें सानिया और संजना जीआईसी चमाली में पढ़ते हैं। फिलहाल वक्त में पारस और सानिया 12वीं और संजना 10वीं बोर्ड की परीक्षा दे रही हैं। संजना दिव्यांग हैं और चलने फिरने में अक्षम हैं। संजना का परीक्षा केंद्र गांव से 14 किमी दूर जीआईसी शैलकुमारी में है। ऐसे में पारस ने अपनी बहन का सहारा बनने का प्रण लिया है।इसके लिए पारस, संजना और सानिया ने लोधियागैर में कमरा लिया है। लेकिन यहां से भी एग्जाम सेंटर की दूरी आधा किमी है। इसलिए पारस ने संजना को एग्जाम दिलाने के लिए डोली का सहारा लिया। पारस, सानिया और उनके रिश्तेदार आकाश संजना को केंद्र तक ले जाने के लिए डोली का सहारा लेते हैं। ताकि उनकी बहन पढ़ लिख कर अपने पंखों को उड़ान दें सके।
बताया जा रहा है कि संजना के पिता की मृत्यु हो चुकी है। घर की जिम्मेदारी मां के कांधों पर है। वह प्राथमिक विद्यालय डुंगरी में भोजन माता हैं। मेहनत कर वह घर चला रही है। उनकी बेटी दिंव्यांग है लेकिन उसके हौसले और सपने बहुत बड़े हैं। संजना शिक्षक बनना चाहती है। बहन को टीचर बनाने के लिए बहन-भाई एकजुट है। वह अपनी बहन को डोली से एग्जाम दिलाने इसलिए ले जाते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि दिव्यांगता किसी भी तरह संजना के सपनों में आडे आए। उनकी ये कहानी हर किसी का दिल छू रही है।

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