उत्तराखंड
राजनीति: अब सिद्धू की हाईकमान को सीधी चेतावनी पर कांग्रेस ने कहा- ये तो उनका ‘अंदाज-ए-बयां’ है…
दिल्ली: बात अगर बिगड़ जाए तो आसानी से नहीं बनती है। तभी कहते हैं ‘बात बिगड़ गई’। ऐसे ही मनमुटाव और दूरियां भी खत्म नहीं होती है। ऐसा ही पिछले कुछ महीनों से पंजाब की कांग्रेस सरकार में चल रहा है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से नवजोत सिद्धू के बीच कई दिनों तक चले सियासी घमासान के बाद पिछले महीने पार्टी हाईकमान ने सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था, तब यही सोच रही होगी कि अब सब कुछ ठीक हो गया है। लेकिन बात एक बार फिर वहीं आकर ‘अटक’ गई है। कैप्टन और सिद्धू में से कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। ‘दोनों नेताओं की एक म्यान में दो तलवार वाली स्थिति है’। क्योंकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर और सिद्धू अपनी-अपनी चलाने में लगे हुए हैं। दोनों पंजाब में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में अपने आप को ‘प्रजेंट’ करने के लिए समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इस बार दोनों नेताओं की लड़ाई की वजह राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग की विवादित बयानबाजी है। यहां हम आपको बता दें कि माली को सिद्धू ने जब से अपना राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया था, तभी से वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ हमलावर थे। उन्होंने फेसबुक पर कश्मीर को लेकर विवादित पोस्ट डाली। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संबंध में विवादित पोस्ट लिखते हुए उनकी तस्वीर के साथ हथियार और ‘नरमुंड’ लगाया था। उसके बाद सिद्धू के खेमे और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधी चार कैबिनेट मंत्री और तीन विधायक पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत से मिलने बुधवार को देहरादून पहुंचे थे। इस दौरान रावत ने सिद्धू के सलाहकारों को फटकार लगाते हुए अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा बयान दिया था। हरीश रावत की यह बात नवजोत सिद्धू और उनके समर्थक विधायकों और नेताओं को ‘पसंद’ नहीं आई।
अब पिछले दो दिनों से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों नेताओं के बीच सियासी लड़ाई खत्म करने के लिए कांग्रेस हाईकमान के दरबार में पहुंचे हुए हैं । हालांकि पार्टी हाईकमान के सख्त तेवर के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने सलाहकार मालविंदर सिंह माली को राजनीतिक सलाहकार के पद से हटा दिया है लेकिन साथ ही पार्टी हाईकमान को चेताया है कि मुझको फैसले लेने का अधिकार दें। यही नहीं पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह ने शुक्रवार को अमृतसर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने आलाकमान से सिर्फ एक ही बात कही है। अगर मैं लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करता हूं और पंजाब मॉडल को लागू करता हूं, तो मैं अगले 20 वर्षों तक कांग्रेस को राजनीति में हारने नहीं दूंगा। लेकिन अगर आप मुझे निर्णय लेने नहीं देते हैं, तो ‘मैं ईंट से ईंट बजा दूंगा’, क्योंकि दर्शनी घोड़ा होने का कोई फायदा नहीं है’। पार्टी हाईकमान को सिद्धू के इस धमकी भरे लहजे के बाद हरीश रावत ने कहा कि सिद्धू पंजाब में पार्टी के प्रधान हैं। उनके अलावा और कौन निर्णय लेगा। रावत ने कहा कि सिद्धू के बोलने का ‘अंदाज-ए-बयां’ कुछ अलग है। बता दें कि पिछले महीने भी सिद्धू ने आम आदमी पार्टी की तारीफ में किए गए ट्वीट पर कांग्रेस हाईकमान की ओर से कहा था कि उनका अंदाज-ए-बयां अलग है।
कैप्टन-सिद्धू के मनमुटाव को सुलझाने के लिए हरीश रावत ने सोनिया-राहुल से की मुलाकात–
पंजाब मसले पर शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद रावत ने कहा कि ‘मैंने उन्हें पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ समस्याएं आई हैं, लेकिन हम उनका समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। सब ‘नियंत्रण’ में हैं। हरीश रावत ने कहा कि अंतिम फैसला कांग्रेस की सोनिया गांधी को ही करना है। उसके बाद शनिवार को पंजाब कांग्रेस में मची कलह के बीच राज्य के प्रभारी हरीश रावत ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। रावत ने राहुल गांधी को स्थिति की रिपोर्ट सौंप दी है। बैठक के बाद हरीश रावत ने कहा कि मैंने राहुल गांधी को हालात से अवगत करा दिया है। ‘पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि मैं उत्तराखंड पर ज्यादा ध्यान देना चाहता हूं, लेकिन पंजाब पर जो पार्टी फैसला करेगी मैं उसका पालन करूंगा’। राज्य में सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के गुट के नेताओं के बीच चल रही जोर आजमाइश के बीच एक और नेता कूद पड़े हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने विवाद के बीच सिद्धू पर निशाना साधते हुए अकबर इलाहाबादी का एक शेर लिखा है। सिद्धू के ‘ईंट से ईंट बजा देने वाले बयान’ का वीडियो पोस्ट करते हुए तिवारी ने उन पर तंज कसा है। गौरतलब है कि पंजाब विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा हुआ है, ऐसे में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच जारी ‘रस्साकशी’ में कांग्रेस के हाथों से कहीं पंजाब की सियासीबाजी निकल न जाए। कृषि कानून विरोधी आंदोलन कैप्टन ने जो अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की थी, वो अब दरकती नजर आ रही है। राज्य कांग्रेस में मची कलह से पार्टी बिखराव की राह पर खड़ी है। हाईकमान भी दोनों नेताओं के झगड़े को कैसे खत्म करें, पशोपेश में है।
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