रुद्रप्रयाग
पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, प्रवासियों के लिए बनी संजीवनी, गांव ने लिख डाली सफलता की इबारत
रुद्रप्रयाग। सुदर्शन कैंतुरा
पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी आखिरकार इस कोरोना महाकाल में रुद्रप्रयाग लौटे प्रवासियों के लिए संजीवनी साबित हो गई। जनपद का लुठियाग गांव जंहा प्रवासियों को हर सम्भव मदद देने के लिए गांव के लोगों ने इबारत लिखना शुरू किया औऱ उनकी यह मेहनत रंग भी ले आई।
सेवा सद्भाव से इन पर्वतवासियों ने अपने प्रवासी भाईओं को हर मदद देने की ठानी है। खास बात यह है कि पहाड़ के इन वासिंदो ने सरकारी मशीनरी को कोसने में अपना वक्क्त जाहिर नही किया और अपने धर्म को निभाने में जुट गए।
इस कोरोना महामारी में पूरा विश्व सभी प्रकार के संकटों से जूझ रहा है। भारत मे अपनी जड़े जमा चुका कोरोना ने पहाड़ की चढ़ाई चढ़ने में भी कोई देरी नही लगाई। हांफते हांफते कोरोना पहाड़ के उन दुर्गम क्षेत्रों में पहुंच गया जंहा की जलवायु की मिशाल पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है।
दूर दराज से लौटे पर्वतवासी जो रोजी रोटी के लिए अपना प्रदेश छोड़ अन्य जगह गए थे उन्हें हजारों की तादात में लौटना पड़ा। अब सबसे बड़ी समस्या थी प्रवासियों को स्वास्थ्य से लेकर उनके रहने खाने की उचिय व्यवस्था करना।
जिसके लिए सरकार भी प्रयासरत है। लेकिन सरकारी निर्देशों और कागजातों से काम नही चलने वाला था। तब पहाड़ की जवानी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। कह सकते हैं कि उत्तराखण्ड की माटी में रचा बसा सेवा सद्भाव काम आने लगा।
रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक में लुठियाग ग्राम सभा के लोगों ने प्रवासियों के लिए हर सम्भव मदद करने की ठान ली वह भी किसी हाकिम की मदद के बिना। आपको बता दें ग्राम सभा लुठियाग ग्राम सभा तीन भागों में बंटी हुई है, पहला भाग ग्राम सभा ‘लुठियाग’ दूसरा भाग ‘चिरबटिया’ और तीसरा भाग ‘खल्वा’ है।
चिरबटिया इस ग्राम सभा का केन्द्र बिन्दु है। लिहाजा चिरबिटिया में ही क्वारंटीन सेंटर बनाया गया। लेकिन दिक्कत ये थी कि, लुठियाग से चिरबिटिया आने में तीन घंटे और खल्वा से चिरबिटिया जाने में दो घंटे लगते। स्वभाविक था कि प्रवासियों को जरूरत का सामान पहुंचाने में घण्टो लग जाते।
ऐसे में लुठियाग ग्राम सभा के लिए क्वारंटीन सेंटर में रोटी-पानी का इंतजाम एक बडी चुनौती बन गया बावजूद इसके इस समस्या के निदान के लिए लुठियाग की जनता ने न तो सरकार को कोसा, न प्रशासन की दहलीज पर मदद के लिए गिड़गिड़ाए। स्वाभिमान की सौगंध ली और समाधान के समुद्र में गोता लगा दिया, ताकि उपाय का मोती हाथ लग सके।
नतीजा ये हुआ कि लुठियाग के नौजवानों ने गांव के माथे पर उभरी शिकन को मिटा दिया। जय नगेला देवता समिति ने ग्राम सभा की तरफ से यह प्रस्ताव रखा कि हम किसी के भरोसे न रहकर अपने प्रवासियों की सेवा खुद करेंगे।
प्रवासियों की हिफाजत को बढ़े हाथों के चलते सभी जरूरत का सामान उपलब्ध होना शुरू हो गया। परदेश से घर लौटे प्रवासियों की मदद को बढ़े हाथों ने देखते ही देखते पचास हजार की रकम का इंतजाम कर दिया।
इस रकम से प्रवासियों के खाने-पीने का पुख्ता इंतजाम किया गया ताकि घर लौटे परदेशी को गांव सालों बाद भी अपना सा लगे। ग्राम सभा प्रधान दिनेश कैंतुरा ने बताया कि नगेला देवता समिति की मदद से बने क्वांरटिन सेंटर में अभी तक सौ से ज्यादा लोग आ चुके हैं। जिनमें पचास फीसदी लोग अपना क्वारंटीन पीरियड पूरा करके अपने घर चले गए हैं।
संकट के समय घर लौटे भाई बंधों के लिए जो हमारे गांव वालों ने सहयोग के हाथ बढाए उनसे प्रवासियों का हौसला बढा है। क्वारंटीन अवधि के दौरान घर लौटे लोगों ने जो सहयोग दिया उससे क्वारंटीन सेंटर का इंतजाम करने में उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई।
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