उत्तराखंड
दुखद खबर: उत्तराखंड में यहां बन्द कमरे में अँगीठी जलाने से ननद और भाभी की मौत…
नैनीताल जिले से दुखद घटवा की खबर सामने आ रही है। डालकन्या के पनखाल तोक में बुधवार की रात अंगीठी के धुएं में दम घुटने से एक ही परिवार के दो लोगों की मौत हो गयी।
जानकरी के मुताबिक, शंकर राम आर्या के पुत्र गिरीश आर्या की 26 वर्षीय पत्नी बिश्नी देवी और 14 वर्षीय बेटी ममता रात क़रीब 8 बजे अलग कमरे में सोने गए थे ठंड से बचने के के लिए उन्होंने कमरे अँगीठी में आग जला रखी थी जिसमें खिड़की नहीं थी कमरा बन्द होने के कारण धुंआ कमरे से बाहर पास नहीं हुआ।
बताया जा रहा की बिश्नी देवी की 1 वर्षीय बेटी उस दिन अपने दादा शंकर राम आर्या के पास सोई थी, रात में बच्ची को भूख़ लगी तो वह रोने लगी और उसके दादा उसे दूध पिलाने अपनी बहू बिश्नी देवी के कमरे में गये दरवाज़ा खटखटाने के बाद अंदर से कोई ज़बाब न मिलने पर उन्होंने दरवाज़ा जैसे तैसे खोला और जब अंदर देखा तो बन्द कमरे में अँगीठी में आग जल रही थी और बहू बिश्नी देवी और बेटी ममता का धुँए से दम घुटने से मौत हो गई। परिवार में बहु और बेटी की मौत के बाद मातम पसरा हुआ है।
बता दें कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना बेहद खतरनाक हो सकता है। अंगीठी में इस्तेमाल होने वाले कोयले या लकड़ी के जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जिससे जान जा सकती है। अंगीठी जलाते समय कमरे को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए। रात के समय सोते समय अंगीठी को घर से बाहर रख देना चाहिए और तभी जाकर सोना चाहिए।
दरअसल, बंद कमरे में अंगीठी जलाने से धीरे-धीरे ऑक्सिजन खत्म हो जाता है और कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच कर खून में मिल जाती है। इस वजह से खून में हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और अंत में इंसान की मौत हो जाती है। अगर कमरे में एक से ज्यादा व्यक्ति सो रहे हैं तो ज्यादा देर तक आग न जलाएं, क्योंकि ज्यादा लोगों के होने से कमरे में ऑक्सिजन की और कमी हो जाती है।
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