टिहरी गढ़वाल
कोहरे की चादर ने ढकी पहाड़ की नैसर्गिक छटा, और कोहरे के आगोश में आया रिहायशी नरेंद्रनगर
नरेन्द्रनगर। वाचस्पति रयाल
मैदानी इलाकों की उमस भरी गर्मी से निजात पाने को बेताब झुलसता बदन जब प्राकृतिक सौंदर्य की छटा से लवरेज शांत पहाड़ की वादियों की नमीयुक्त सनसनाती-सरसराती सी चुभती सुगंधित हवा को पाने के लिए पहाड़ की ओर रुख करता हुआ पर्वत श्रृंखलाओं के बीच पहुंच जाता हो,
तो निश्चित ही यहां की आबोहवा पाकर उस व्यक्ति की खुशियों का कोई ठिकाना न रहता होगा।
उमस भरी गर्मी में पसीने से लथपथ व निस्तेज हुए शरीर को भला जब पहाड़ की वादियों की गोद में संजीवनी जैसी आबोहवा मिल जाए तो तब उसकी खुशियों की कल्पना की उड़ान सातवें आसमान पर पहुंचनी स्वाभाविक सी बात है।
यही तो प्रकृति की वह बेशकीमती धरोहर है,जो ईश्वर ने हमें मुफ्त में परोसी है।
पहाड़ की खूबसूरत वादियों को निहारने और ऊंचे पर्वत श्रृंखलाओं की एक झलक पाने के लिए देश ही नहीं विदेशी पर्यटक भी उत्तराखंड की हसीन वादियों की ओर रुख करने को बेताब रहते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य की छटा में उत्तराखंड का अपना विशिष्ट स्थान है,और इसीलिए समूचे विश्व में विशेष पहचान भी है। यही तो खासियत है कि पर्यटक और सैलानी बड़ी संख्या में यहां की ओर रुख करते हैं।
आज सुबह अक्सर आसमान साफ था। किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि दूर-दूर तक बहुत साफ दिखाई देने वाली पर्वत श्रृंखलाएं,गहरी घाटियां,गांव,खेत-खलियान सब कुछ चंद समय के बाद आंखों से ओझल हो जाएगा।
रोजमर्रा की दिनचर्या पर भारी पड़ता लॉकडाउन पर लोग बतिया ही रहे थे कि अचानक आसमान में छाए बादलों ने जमीन की ओर रुख किया।
और देखते ही देखते सुबह की 8 बजे से पहले ही कोहरे की घनी चादर की परत जमीन पर यूं बिछी की पांच से सात फुट की दूरी से आगे कुछ दिखाई नहीं दिया।
लॉकडाउन के बीच सड़कों पर चलते इक्का-दुक्का वाहन की रफ्तार कोहरे के कारण बेहद ही धीमे थी। वाहन फाग लाइट जलाकर धीमी रफ्तार से आगे सरक रहे थे।
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