उत्तराखंड
टिहरीः इन मांगों को लेकर बांध प्रभावितों ने खोला मोर्चा, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी…
टिहरी। टिहरी बांध प्रभावितों में शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण रोष देखने को मिल रहा है। बांध प्रभावितों ने टीएचडीसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। बांध प्रभावितों का कहना है कि टीएचडीसी ने हमेशा हमारे हक हकूको एवं अधिकारों पर डाका डालने का काम किया है। पुर्नवास विस्थापन समिति की ओर से बांध प्रभावित रौलाकोट, भल्डियाना और गाडोलिया के ग्रामीणों की मांगों को लेकर बोराड़ी में 12वें दिन भी धरना जारी रहा। सोमवार को नगर पालिका अध्यक्ष सीमा कृषाली ने भी धरने को समर्थन दिया। वहीं बांध प्रभावितों ने मांगे पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार ग्रामीणों का कहना है कि टीएचडीसी की दमनकारी नीति के आगे हमेशा शासन प्रशासन बेबस होकर नतमस्तक रहा है। अब तो नौबत यहां तक आ गई है कि माननीय विधायक गणों की भी टीएचडीसी अनदेखी कर रही है। उन्हें संपार्श्विक क्षति नीतिसमिति से भी बाहर का रास्ता दिखादिया गया है। भविष्य मे अगर टिहरी बांध के कारण कोई भी समस्या उत्पन्न होती है तो उसका निवारण संपार्श्विक क्षति नीति के तहत किया जाता है। ग्रामीण भूखंड आवंटित करने के साथ ही पात्रता निर्धारण वर्ष 2021 के आधार करने के साथ ही टीएचडीसी में बांध प्रभावितों को स्थाई रोजगार देने की मांग कर रहे हैं।
प्रभावितों की मांग है कि विस्थापन एवं पुनर्वास से संबंधित सभी लंबित मांगे पूर्ण हों।
समस्त टिहरी जिले को निशुल्क बिजली एवं पानी दिया जाए। निर्बल आवास मे पुनर्वासित परिवारों को मालिकाना हक दिया जाए। वाल्मीकि समुदाय के परिवारों को पशु पालन हेतु एक अलग स्थान आवंटित किया जाए। टिहरी गढ़वाल के युवाओं को टीएचडीसी/ एनटीपीसी मे स्थाई रोजगार दिया जाए। ग्रामसभा भल्डियाणा के पात्रता से वंचित एकमात्र परिवार को हनुमंत राव कमेटी की शिफारिशों के आधार पर पुनर्वासित किया जाए। संपार्श्विक क्षति नीति मे पात्रता निर्धारण 2021 की तिथि से ही किया जाए। वहीं ग्रामीणों ने 25 नवंबर को जिला मुख्यालय पर रैली निकालने का ऐलान किया है। साथ ही कहा कि फिर भी उनकी मांगों को नहीं सुना गया, तो उग्र आंदोलन करेंगे।

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