उत्तराखंड
गजब: प्रदेश में योग का खूब मचा धमाल, योग एम्बेसडर को मानदेय की गुहार
सूबे में योग दिवस के दिन सरकारी मशीनरी ने खूब हो हल्ला मचाये रखा। यंहा तक कि राजनेताओं से लेकर कई संस्थाओं के ब्रांड एम्बेसडर सोशल मीडिया में योग करते हुए दिखाई दिए।
कहा जा सकता है कि योग दिवस पर प्रदेश में खूब प्रचार प्रसार किया गया। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि प्रदेश की योग एम्बेसडर को ही पिछले डेढ़ साल से मानदेय नही मिला है।
जिसको लेकर उत्तराखंड ब्रांड एम्बेसडर दिलराज प्रीत कौर जिम्मेदार महकमों से कई बार गुहार लगा चुकी हैं। हालत यह है कि उन्हें अभी तक मानदेय नही मिल पाया। यह दोहरी नीति नही तो क्या है।
दरअसल, योग की ख्याति पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध हो चुकी है। यही नही योग की अंतर्राष्ट्रीय राजधानी उत्तराखंड के ऋषिकेश में ही है। 21 जून को योग दिवस पर सफेद पोश से लेकर निजी बड़ी बड़ी कंपनी व्यवसायियो ने प्रचार प्रसार करने के लिए खूब हल्ला मचाये रखा। लेकिन प्रदेश में योग की एम्बेसडर को ही पिछले डेढ़ साल से दरकिनार किया गया है।
यह तो वही बात हुई दीपक तले अंधेरा। जिस योग को सुदृढ़ एवम लोगों में योग को लेकर जागरूक करने के लिए जिसे एम्बेसडर के लिए चुना गया वही आज अपने मानदेय के लिए सरकारी मशीनरी के आगे विवश हो चुकी हैं।
दरअसल, दिलराज कौर 1 जुलाई 2018 से उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। संविदा अवधि 30 जून 2018 से इन्हें अभीतक मानदेय प्राप्त नही हुआ है। संविदा विस्तारीकरण को लेकर फाइल भी सचिवालय में धूल फांक रही है।
यही कारण है कि ब्रान्ड एम्बेसडर को मानसिक परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है। इनके हौसला अफजाई की बात यह है कि यह बिना सैलरी के अपने पद पर नियमित सेवा दे रही हैं।
आलम यह है कि यह वेतन संबंधी मांग को लेकर कई बार पत्राचार भी कर चुकी हैं। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार संविदा कर्मियों के लिए कितनी सजग है।
मुखिया का आदेश भी दरकिनार
सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मामले के संज्ञान में आते ही 29 नवम्बर को शेष मानदेय के भुगतान को लेकर आयुष सचिव को आदेश दिया। लेकिन अभीतक मानदेय नही मिल पाया है।
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