उत्तराखंड
चेतावनी: फर्जी तरीके से नौकरी देने वालों और करने वालों पर गिरेगी गाज, जल्द करवाई न हुई तो होगा जन आंदोलन
देहरादून: उत्तराखंड सरकार के विभिन्न विभागों में उर्दू अनुवादकों के पदों पर फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे और इन्हें आश्रय देने वालों के खिलाफ अब मोर्चा खुलने लगा है और खुलना भी जरूरी है। क्योंकि उत्तराखंड का शिक्षित युवा बेरोजगार वर्ग नौकरी के लिए धक्के खा रहा है। आलम यह है कि फर्जी तरीके से नौकरी करने वाले सरकारी मलाई खा रहे हैं।
जिस मसले पर अब उत्तराखंड बेरोजगार संघ गरजने लगा है। संघ के अध्यक्ष बाॅबी पंवार ने संगठन के अन्य पदाधिकारियों के साथ मामले के जल्द खुलासे करने के साथ इन पदों पर नौकरी करने वालों को हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जल्द इस संबंध कोई करवाई नहीं हुई तो जन आंदोलन होने को लेकर चेता भी दिया है। पंवार ने मामले का खुलासा करने वाले एडवोकेट और आरटीआई एक्टिसिस्ट विकेश नेगी से मुलाकात भी की और संबंधित दस्तावेजों को खंगाला भी।
मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस दौरान उन्होंने उर्दू अनुवादकों की नौकरी, शासनादेश व नियुक्ति सहित अन्य सभी विषयों पर बातचीत की, आरटीआई से आये विभिन्न विभाग के जबावों को पढ़ने और शासनादेश सहित अन्य कागजों का अध्यन करने के बाद बाॅबी पंवार ने कहा कि यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है, एक साल की नौकरी पर रखे गये यह लोग कैसे सरकारी नौकरी पर रख दिये गये। कैसे प्रमोसन के साथ ही इन लोगों को समय पर अन्य लाभ मिलते रहे। यह बिना मिलीभगत के संभव ही नहीं है।
विकेश नेगी द्वारा खुलासा करने के बाद भी विभागों की खमोशी और इन लोगों पर कार्रवाही न करना इस बात को बताता है कि यह बहुत बड़ा गड़बड़झाला है। और सबसे बड़ी बात यह कि यह नियुक्तियां केवल बुदेंलखंड, गढवाल और कुमांउ में जिलास्तर व मंडलस्तर पर नहीं थी। और सबसे बड़ी बात यह कि यह सिर्फ एक साल के लिये थी और 28 फरवरी 1996 को स्वतह ही समाप्त हो गई थी। फिर कैसे यह लोग इतने सालों से फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष ’बॉबी पंवार’ का कहना है कि आरटीआई में हुए खुलासे के बाद उत्तराखंड के भ्रष्ट तंत्र की काली करतूतें सबके सामने आ गई है। जिससे की यह तय हो गया है,कि किस प्रकार उत्तराखंड में मूल निवासियों और योग्य युवाओं का हक मारा जा रहा है। जिस प्रकार नेताओं एंव अधिकारियों की सिफारिश से इन लोगों को नौकरी दी गई है ये प्रदेश के योग्य छात्रों के साथ छलावा है। जिसका पूरजोर विरोध किया जाएगा और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा।
आरटीआई में तमाम विभागों ने चैंकाने वाले जबाव दिए जिससे सारी सच्चाई सामने आ गई है। उत्तराखंड बेरोजगार संघ इस मामले पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही के साथ इस पूरे प्रकरण की जांच के लिये राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, सहित तमाम आलाअधिकारियों को ज्ञापन देगा। इसके बाद भी अगर कोई कार्रवाही नहीं की गई तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जायेगा।
वहीं एडवोकेट व आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर उनकी लड़ाई जारी है। इसके लिये हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जहां तक भी लड़ाई लड़नी पड़े वह इसके लिये तैयार हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी यह मुहिम रूकेगी नहीं। वह सरकार के खजाने को चूना लगाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही कराकर ही दम लेंगे।
विकेश नेगी ने आम जनता से आग्रह किया कि यह उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। यह आम जनता की लड़ाई है। अगर हमें राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है और हर बेरोजगार युवा को रोजगार मुहैया कराना है तो इसके लिये सब को आगे आना होगा। इस मुहिम को जनआंदोलन बनाना होगा। मिलकर लड़ाई लडनी होगी तभी राज्य भ्रष्टाचार मुक्त हो पायेगा।
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