उधम सिंह नगर
मिसाल: देवभूमि में तीन बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि, हर आंख हुई नम…
खटीमा: समाज में बेटियों को लेकर कई तरह की बातें की जाती है। अगर किसी का बेटा न हो तो कहा जाता है की पिता का अंतिम संस्कार कौन करेगा। बेटियां पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर सकती। देवभूमि की तीन बेटियों ने इन रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ मिसाल पेश की है। मामला खटीमा का है। यहां पिता की लाड़ली बेटियों ने पिता को श्मशान घाट जाकर मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार के किया। साथ ही पुरुष प्रधान समाज के सामने बेटियों ने एक उदाहरण पेश कर बता दिया कि लड़के-लड़की समान होते हैं। इस दृश्य को जिसने भी देखा उसकी आंखों से आंसू नहीं रुक सके।
आपको बता दें खटीमा के खेतलसंडा गांव के निवासी पंडित दयाकृष्ण जोशी दयालु गुरु का शुक्रवार की सुबह हृदय गति रुकने के कारण निधन हो गया। वह पूजा पाठ कर परिवार का भरण पोषण करते थे और समाजसेवी भी थे। उनकी तीन बेटियां हैं। दयालु गुरु वर्तमान में परिवार के साथ डिग्री कॉलेज रोड स्थित किराए के घर में रह रहे थे। रात को सोने के बाद सुबह पूजा के लिए वह नहीं उठे तो पत्नी हेमा ने उन्हें उठाने का पुरजोर प्रयास किया। जब वे तभी नहीं उठे तो परिवारजनों में हड़कंप मच गया। तब आनन-फानन में उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिससे परिवार में कोहराम मच गया।
जिस पिता का हाथ पकड़कर चलना सीखा। लाड प्यार से पाला, बड़ा किया। अपने पैरों पर खड़ा किया। उसी पिता की अर्थी को जब तीनों बेटियों ने कंधा देकर विदा किया तो लोगों की आंखें नम हो गईं। बेटियों ने एक बेटा होने का फर्ज निभाया है। इन बेटियों ने पिता के निधन के बाद एक बेटा बनकर उनका अंतिम संस्कार किया। इस घटना के बाद हर तरफ बेटियों की दाद दी जा रही है। वहीं दयालु के निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी ने भी घर पहुंचकर शोक प्रकट किया।
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