देहरादून
EXCLUSIVE खुलासा: देहरादून का 90 फीसदी पानी है दूषित, कहीं आप भी तो नहीं पी रहे दूषित जल…
देहरादून। उत्तराखंड जहां की शुद्ध आबोहवा पूरी दुनिया में मशहूर है। जहां सैकड़ों जल स्त्रोत है उसी प्रदेश की राजधानी में पीने लायक पानी नहीं है। ये हम नही कह रहे ये खुलासा हुआ है स्पेक्स संस्था की वार्षिक पेयजल गुणवत्ता रिपोर्ट से… रिपोर्ट के अनुसार देहरादून के कई इलाकों का जल सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। जिससे सैकड़ों बिमारियां होने का खतरा बढ़ गया है। आम जन ही नही बल्कि नेता मंत्रियों के घर भी पीन लायक पानी उपलब्ध नहीं है। आपको बता दें कि दून के कई इलाकों में अवशोषित क्लोरीन का स्तर ज्यादा मिला हैं, वहीं कुछ स्थानों पर पानी बिना क्लोरिनेशन के ही सप्लाई किया जा रहा है। कई हिस्सों में पानी में बीमारी फैलाने वाले कॉलिफार्म भी बहुत अधिक मात्रा में मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक क्लोरीन ज्यादा होने, फीकल कॉलिफार्म, सुपर क्लोरिनेशन और कठोरता के कारण पानी पीने लायक नहीं है। दून के पानी में अवशोषित क्लोरीन की मात्रा 0.2 मिग्रा प्रति लीटर मिली है। जिससे कई खतरनाक बिमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार राजपुर रोड, डीएम कैंप दफ्तर, समेत 36 जगहों पर कॉलीफॉर्म का स्तर मानक से ज़्यादा पाया गया। कुल 75 जगहों पर पेयजल की गुणवत्ता मानक के मुताबिक नहीं मिली। यही नहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व गणेश जोशी के निवास समेत डीएम आवास, मेयर निवास डोभालवाला, विधायक खजान दास आवास, एसएसपी आवास में भी क्लोरीन का स्तर मानक से कई गुना ज़्यादा पाया गया। हालांकि डोभालवाला, इंदरेश नगर, तपोवन एन्क्लेव, राजेश्वरपुरम जोगीवाला, लक्खीबाग, भंडारी बाग और सरस्वती विहार अजबपुर क्षेत्रों में क्लोरीन मानक के अनुसार पाया गया।
आपको बता दें कि ये रिपोर्ट पांच जून से आठ जुलाई के बीच 125 घरों से लिए गए पानी के नमूने के आधार पर तैयार की गई है। इसमें से करीब 90 फीसदी मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। गौरतलब है कि ये दूषित जल से पथरी के खतरे, लिवर, किडनी, आंखों, जोड़ों पर खतरनाक प्रभाव डालता है । इससे हाज़मे पर खराब असर पड़ता है। इतना ही नहीं बालों और त्वचा पर बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते है त्वचा खराब होने लगती है।फीकल कॉलिफॉर्म से पेट में कीड़ों, हैजा, दस्त, पीलिया और हेपेटाइटिस बी को जोखिम काफी बढ़ जाता है, इसके साथ ही पानी में ज़्यादा मात्रा में क्लोरीन होने से तो पेट के गंभीर रोगों के साथ ही कैंसर व अल्सर के खतरे बढ़ जाता हैं।
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