दिल्ली
भक्ति में लीन श्रद्धालु: हिंदू और सिख धर्म की आस्था से जुड़ा हुआ है कार्तिक पूर्णिमा का पर्व…
देहरादूनः देश में आज गंगा घाटों और गुरुद्वारों में भक्ति का माहौल है। गंगा में स्नान करने के बाद श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर रहे हैं तो गुरुद्वारों में सबद कीर्तन किए जा रहे हैं। आज एक ऐसा पर्व है जो दो धर्मों की आस्था को जोड़ता है। आज पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस पर्व को हिंदू और सिख धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस पर्व से दोनों धर्मों की गहरी आस्था से जुड़ी है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन स्नान, व्रत और दान करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है, इसके साथ ही माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। वहीं दूसरी ओर गुरुनानक जयंती सिखों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। सिख धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस दिन सिख धर्म को मानने वाले भजन कीर्तन करते हैं और वाहेगुरु का जाप करते हैं। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व, गुरु पर्व और गुरु पूरब भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर आज सुबह से ही हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, उज्जैन आदि में श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं, इस दिन गंगा में स्नान अवश्य करना चाहिए। क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र का दान करना शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि पर चावल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है। पूर्णिमा तिथि पर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। घर में सुख और लक्ष्मी का वास होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है। तुलसी पूजा से लक्ष्मी जी की भी कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली भी मनाई जाती है, गंगा घाटों पर जलाए जाते हैं दीप–
कार्तिक पूर्णिमा को देव दिपावली भी कहा जाता है। इस दिन देवी-देवता स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं, मान्यता ये भी है कि देवी देवता इस दिन वाराणसी के गंगा घाट पर स्नान करते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिपावली भी मनाई जाती है। दीपदान शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है । कार्तिक पूर्णिमा पर दान, यज्ञ और मंत्र जाप का भी विशेष महत्व बताया गया है। बता दें कि पूरे साल भर में से कार्तिक पूर्णिमा को ही भगवान कार्तिकेय जी के ग्वालियर स्थित मंदिर के कपाट खुलते हैं और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है । बाकी साल भर मंदिर के कपाट बंद रहते हैं । पौराणिक तथ्यों के आधार पर एक बार कार्तिकेय जी के द्वारा उनके दर्शन न किए जाने के श्राप से परेशान मां पार्वती और शिवजी ने कार्तिकेय जी से प्रार्थना की और कहा कि वर्षभर में कोई एक दिन तो होगा, जब आपकी दर्शन-पूजा की जा सके। तब भगवान कार्तिकेय ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने दर्शन की बात कही । इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय जी के दर्शन-पूजन का इतना महत्व है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती के रूप में प्रकाश पर्व मनाया जाता है—
प्रकाश पर्व पर हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। प्रकाश पर्व के दिन गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों सुबह से ही शुरू हो जाते हैं जो देर रात तक चलते रहते हैं। इस दिन लोग गुरुवाणी का पाठ भी करते हैं। प्रकाश पर्व के दिन शाम को लंगर का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें अनुयायी भोजन ग्रहण करते हैं। गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु थे। नानक जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नाम गांव में हुआ। हालांकि अब गुरु नानक जी का ये जन्म स्थल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ननकाना साहिब में है। दो दिन पहले ही भारत सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब जाने के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया गया है। इस बार सिख श्रद्धालुओं के पहुंचने से पूरा ननकाना साहिब में खुशियां छाई है। गुरुवार को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी ननकाना साहिब जाकर मत्था टेका।
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