रुद्रप्रयाग
पर्यटन: बुग्यालों में सबसे अनूठा बुग्याल, कार्तिक स्वामी तीर्थ की तलहटी में फैला है उसनतोली बुग्याल
लक्ष्मण नेगी। ऊखीमठ: देवभूमि उत्तराखण्ड में सुरम्य मखमली बुग्यालों की भरमार है। इस देवभूमि में औली, वेदनी,आली, दयारा, विसुणी, मनणा, थौली जैसे सैकड़ों बुग्याल विश्व विख्यात है। इन सब बुग्यालों में सबसे अनूठा बुग्याल है कार्तिक स्वामी तीर्थ की तलहटी में बसा उसनतोली बुग्याल। तहसील ऊखीमठ के क्रौंच पर्वत के समीपवर्ती ग्राम सभा मालखी व जगोठ की सीमा पर कार्तिक स्वामी की सुरम्य तलहटी में बसे उसनतोली बुग्याल को प्रकृति ने अनूठे वरदानों का भरपूर दुलार दिया है।
क्रौंच पर्वत की छांव में फैली हरी-भरी वादियां, मखमली चारागाह, शोख, झरने, चहचहाते पक्षी, उछल कूद करते जीव-जन्तु, कल-कल निनाद करता द्रोणगिरी का उदगम स्थल व वासुकी का मन्दिर श्रद्धालुओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए अनूठा आनन्द और रोमांच का विषय बन जाता है। दुनियावी शोर-शराबें से दूर उसनतोली बुग्याल को प्रकृति द्वारा प्रदान की गई सुरम्यता और घाटियों की शांत-मनोरम गोद में जब प्रकृति प्रेमी पहुंचते है तो कुदरत का ही एक हिस्सा बनकर कुछ क्षणों के लिए आंखें विस्फारित हो जाती हैं।
उसनतोली बुग्याल का चौथाई भाग हल्का ढलानी व शेष समतल है। यह बुग्याल लगभग 15 से 18 हेक्टेयर में फैला चारों ओर वृक्षों से आच्छादित है। एक वृहद् घाटी में दूर-दूर तक अनुपम छटा बिखेरे उसनतोली बुग्याल के सामने व नीचे कई अधमुंखी उपघाटियां फैली हुई है। उसनतोली बुग्याल के किनारे बरसात के समय असंख्य जल-धाराऐं गुनगुनाती हुई बहती है।
वर्षा व बसन्त ऋतु में उसनतोली बुग्याल के चारों तरफ असंख्य प्रजाति के पुष्प खिले रहते है, जिन्हें देखकर ऐसा आभास होता है कि यह समूची उपत्यका साक्षात् नन्दन कानन में तब्दील हो गई हो। उसनतोली बुग्याल के पावन वातावरण से मानव का अन्त:करण शुद्ध हो जाता है और मानव सांसारिक राग, द्वेष, घृणा, लोभ, क्रोध, अहंकार जैसे भावों पर विजय पाने की शक्ति मिलती है, परिणामस्वरूप मानव में सत्य स्नेह, दान, दया सन्तोष पवित्रता जैसे भावों का उदय होता है। उसनतोली बुग्याल के दाहिनी तरफ एक विशाल बांज के वृक्ष के नीचे नागराजा का खुला मन्दिर के साथ जल स्रोत है जहाँ पर गन्दगी होने पर जल स्रोत सूख जाता है।
पट्टी तल्ला कालीफाट से आने वाले श्रद्धालु कार्तिक स्वामी तीर्थ जाने से पहले नागराजा की पूजा-अर्चना करते हैं। उसनतोली बुग्याल से आधा किमी दूरी पर गणेश नगर पैदल मार्ग पर विशाल चट्टान पर भगवान कार्तिक स्वामी भण्डार है जिसके दर्शन भगवान कार्तिक स्वामी की महिमा के अधीन है।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि उसनतोली बुग्याल में पर्यटन की अपार सम्भावनाऐं है यदि प्रदेश सरकार उसनतोली बुग्याल को पर्यटन मानचित्र पर अंकित करता है। तो भविष्य में उसनतोली बुग्याल का चहुंमुखी विकास हो सकता है। उसनतोली बुग्याल में परम आनन्द की अनुभूति होती है।
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