उत्तर प्रदेश
फैसला: पीएम के तगड़े शॉट से विपक्ष चित, एक झटके में खेल पुरस्कार से हटाया राजीव गांधी का नाम…
टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता। इस जीत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतना खुश हुए कि उन्होंनेे हॉकी जगत को कुछ खास ‘तोहफा’ देने का एलान कर डाला। ओलंपिक पुरुष हॉकी टीम के जश्न के दौरान ही केंद्र सरकार ने खेल के सर्वोच्च पुरस्कार को लेकर बड़ा फैसला किया । आखिरकार शुक्रवार दोपहर 12 बजे पीएम मोदी ने खेल पुरस्कार को लेकर एक तगड़ा ‘शॉट’ मारा, जिससे विपक्ष ‘चित’ हो गया। मोदी के इस जोरदार किक के आगे कांग्रेस जवाब ही तलाशने में जुटी है। बात को आगे बढ़ाने से पहले यह भी जान लिया जाए कि पिछले कई सालों से हॉकी के महान खिलाड़ी और जादूगर मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ देने की मांग की जा रही थी। इसका ‘दबाव’ मोदी सरकार पर भी बना हुआ था। केंद्र की भाजपा सरकार के अभी तक ध्यानचंद को भारत रत्न न दिए जाने को लेकर आज प्रधानमंत्री ने उसकी कुछ भरपाई करने का भी प्रयास किया । आइए जानते हैं पीएम मोदी ने ऐसा कौन सा ‘दांव’ लगाया जो निशाने पर जाकर लगा। यह दांव कुछ और नहीं, बल्कि देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के नाम से राजीव गांधी का नाम हटाकर हॉकी के जादूगर के नाम पर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ करने का है।
टोक्यो ओलंपिक में भारत पुरुष हाकी की शानदार जीत पर जहां पूरा देश ‘जोश’ में आ गया वहीं दूसरी ओर पीएम ने भी इस ऐतिहासिक मौके को लपकते हुए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रख दिया। ‘केंद्र सरकार और पीएम मोदी के फैसलों का ट्विटर के माध्यम से विरोध करने वाले राहुल गांधी भी इस पर कोई जवाब नहीं दे सके’ । इस दौरान वे दिल्ली में किसान आंदोलन के बीच में मौजूद थे। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार बदलकर मेजर ध्यान चंद रखे जाने पर जब राहुल गांधी से पूछा गया तो उन्होंने ‘चुप्पी’ साध ली । शायद ‘राहुल फिलहाल इस फैसले को लेकर नफा-नुकसान का आकलन करने में लगे हुए हैं’। इसको लेकर सोशल मीडिया पर जरूर तमाम प्रकार की प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है। ‘पीएम ने कहा कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखने के लिए देश भर के नागरिकों से अनुरोध मिल रहे थे । प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है’। ‘मतलब साफ है पीएम मोदी ने मेजर ध्यानचंद खेल पुरस्कार रखे जाने को लेकर अपना नहीं देश के लोगों का फैसला बताते विपक्ष को चुप करा दिया’ ।
विपक्ष बोला- ध्यानचंद का विरोध नहीं, मोदी-जेटली स्टेडियम के भी नाम बदले जाए–
विपक्ष ने कहा कि मेजर ध्यानचंद खेल पुरस्कार रखे जाने का हम विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली स्टेडियम के नाम भी बदले जाएं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ का नाम ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ किए जाने के फैसले का ‘स्वागत’ करते हैं लेकिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम और अरुण जेटली स्टेडियम का नाम बदल कर खिलाड़ियों के नाम पर रखा जाना चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि शुरुआत हो ही गई है तो अच्छी शुरुआत कीजिए। कांग्रेसी नेता सुरजेवाला ने कहा कि उम्मीद है कि देश के खिलाड़ियों के नाम पर स्टेडियम का नाम रखा जाएगा। सबसे पहले नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली स्टेडियम का नाम बदल दीजिए। अब पीटी उषा, सरदार मिल्खा सिंह, मैरी कॉम, सचिन तेंदुलकर, गावस्कर और कपिल देव के नाम से रखिए। वहीं मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने ट्वीट में अहमदाबाद के स्टेडियम का जिक्र करते हुए लिखा, प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, जनता की भारी मांग है कि अहमदाबाद के नए स्टेडियम से अपना नाम हटाकर किसी खिलाड़ी के नाम पर कर दीजिए। खिलाड़ियों के सम्मान में भी राजनीतिक दांवपेंच क्यों? ऐसे ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष और फिल्म अभिनेता राजबब्बर ने भी अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम बदलने की मांग की है। सपा नेता आईपी सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा कि मोदी जी ने गुजरात के सबसे पुराने सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम का नाम खुद के नाम पर रख लिया था। अब आइए देश के हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के बारे में भी जान लिया जाए।
हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के जन्मदिवस पर देश में मनाया जाता है खेल दिवस–
आपको बता दें कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं’। तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा। इस अवॉर्ड को 1991-92 में शुरू किया गया था। तब इसका नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। इस अवॉर्ड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य खेल के क्षेत्र में सराहना और जागरूकता फैलाना है। साथ ही खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाना है, ताकि वह समाज में और ज्यादा सम्मान प्राप्त कर सकें। हम आपको बताते हैं कि इसी महीने मेजर ध्यानचंद की जयंती पर 29 अगस्त को खेल दिवस भी है। अब मेजर ध्यानचंद खेल पुरस्कार किए जाने के बाद इसी महीने भाजपा सरकार खेल दिवस को और धूमधाम के साथ मनाएगी ।
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