देहरादून
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देहरादून: उत्तराखंड में लंबे समय से मांगो को लेकर नाराज़ चल रहे ऊर्जा निगम के 3500 कर्मी हड़ताल पर चले गए थे। सरकार की सख्ती के बाद कर्मियों ने हड़ताल स्थागित कर दी है। सरकार ने अब हड़ताली कर्मियों पर सख्ती करते हुए 6 माह के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है। मंगलवार को सरकार के कड़े रुख और मंंत्री हरक सिंह रावत से वार्ता के बाद कर्मियों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला कर लिया है।
बता दें कि 3500 से ज्यादा कार्मियों के हड़ताल पर जाने से मनेरी भाली और पछवादून की पांच जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन ठप हो गया है। इसके साथ ही राजधानी सहित कई जगहों पर बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है। जिसके बाद सरकार ने हड़ताली कर्मियों पर सख्ती करते हुए 6 माह के लिए हड़ताल पर रोक लगाते हुए आदेश जारी कर दिया है।
बता दें कि अब कोई भी कर्मी हड़ताल पर नहीं जा पाएगा। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम , 1966 ( उत्तराखण्ड राज्य में यथा प्रवृत्त ) ( उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 30 सन् 1966 ) की धारा 3 की उपधारा ( 1 ) के अधीन शक्ति का प्रयोग कर अगले 6 माह के लिए हड़ताल को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसका आदेश जारी किया गया है। आदेश में लिखा है कि छः माह की अवधि के लिए यूजेवीएन लिमिटेड, उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि० एवं पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि० में समस्त श्रेणी की सेवाओं में तत्कालिक प्रभाव से हड़ताल निषिद्ध करते हैं।
वहीं दूसरी और सर्वे चौक के निकट स्किल डेवलपमेंट कार्यालय में ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत हड़ताली कर्मियों से बंद कमरे में वार्ता हुई है। जिसके बाद ऊर्जा कर्मचारियों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला ले लिया है। कर्मचारियों की मंत्री हरक सिंह रावत से हुई वार्ता सकारात्मक रही। जिसके बाद हड़ताल समाप्त करने का फैसला हुआ।
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