उत्तराखंड
शुरुआत: अब गढ़वाली,कुमाऊं और जौनसारी भाषा का भी होगा इस विश्वविद्यालय में कोर्स, पढ़िए…
देहरादूनः उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां क्षेत्रिय भाषा का कोई कोर्स नही है। उत्तराखंड की संस्कृति और यहां की भाषा को बचाए रखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। अब दून विश्वविद्यालय में लोकभाषा और लोककला पर आधारित कोर्स शुरू किए गए है। इसका शुभारंभ राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून विश्वविद्यालय में डॉ . भीमराव अम्बेडकर चेयर स्थापना उद्घाटन के साथ किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय में समस्त पाठ्यक्रमों में एक सीट कोविड-19 में अनाथ हुए बच्चों के लिए आरक्षित होगी। ऐसे छात्र-छात्राओं को सरकार की ओर से निशुल्क शिक्षा दी जाएगी।
बता दें कि दून यूनिवर्सिटी की ओर से कुछ नए पाठ्यक्रम पेश किए गए है। इनमें गढ़वाली , कुमाउंनी , जौनसारी भाषाओं में एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स और उत्तराखंड की लोककला पर आधारित दो साल का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम ( MA थियेटर ) शामिल हैं। जो यहां कि संस्कृति को बचाने और बढ़ाने के लिए बड़ी पहल माने जा रहे है। स्कूल ऑफ लैंग्वेज के तहत स्थानीय बोली-भाषा को बढ़ावा देने के लिए दून यूनिवर्सिटी द्वारा लोक भाषा में एक वर्षीय कोर्स की शुरूआत की गई है। कोर्स करने पर छात्रों को तीन क्रेडिट अंक का लाभ मिलेगा, जिसके वो अपने पाठ्यक्रम में क्रेडिट कर सकेंगे। इसमें 20-20 सीटें रहेंगी। अभी विवि में इंग्लिश, जर्मन, फ्रैंच, स्पेनिश, जेपनीज और चाइनीज भाषा पढ़ाई जा रही है।
आपको बता दें कि दून विश्वविद्यालय में 20 जुलाई से नए शैक्षणिक सत्र के लिए एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विवि की वेबसाइट पर एडमिशन फॉर्म भी उपलब्ध है। फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 20 अगस्त है। विवि का नया सत्र एक सितंबर से शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरे साल विवि अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा नहीं करवाएगा। इस बार भी स्नातक व इंटीग्रेटेड स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में 12वीं के अंकों की मेरिट के आधार पर दाखिले दिए जाएंगे। स्नातकोत्तर में स्नातक के अंकों की मेरिट के आधार पर दाखिला होगा।
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