टिहरी गढ़वाल
2022: गुदड़ी का लाल फिर कर सकता है टिहरी से कमाल, ग्रास रूट पर चहलकदमी शुरू, जानिए क्या है मामला
टिहरी गढ़वाल:
विधानसभा में गुदड़ी के लाल का कमाल फिर देखने को मिल सकता है, ये गीत के बोल ‘मेरा गुदड़ी का लाल हाय तेरु कमाल’ टिहरी विधानसभा के सभी लोगों में रचा बसा है।
ये गीत के बोल अक्सर किशोर उपाध्याय के चुनावी रण में उतरने के बाद उनके समर्थकों के द्वारा बजाया जाता रहा है। दरअसल ग्रास रूट पर काम करने के माहिर किशोर उपाध्याय हमेशा से ही टिहरी विधानसभा के लोगों के लोकप्रिय नेता रहे हैं।
इन दिनों उपाध्याय ने टिहरी में अपना ठिकाना जमा दिया है। हिन्दुस्तान मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए एक बार फिर से अपनी परंपरागत टिहरी सीट पर फील्डिंग सजा ली। ऐसा लोग कह रहे हैं
टिहरी में नया घर खरीदने के बाद मई-जून से किशोर लगातार टिहरी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। जन संवाद, ग्राम भ्रमण के साथ ही वो स्थानीय मुद्दों पर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में भी बराबर की शिरकत कर रहे हैं।
किशोर की तैयारियों से साफ संकेत मिल रहे हैं कि देहरादून की सहसपुर सीट से उन्होंने अपना दावा खत्म कर लिया है। और अब, दो-दो बार राज्य विधानसभा में भेज चुकी टिहरी सीट ही किशोर का फाइनल ठिकाना होगा। संपर्क करने पर किशोर ने भी इसके संकेत दिए। कहा कि, टिहरी सदा से मेरी कर्मभूमि रही है।
किशोर की टिहरी में सक्रियता के राजनीतिक हल्कों में कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। वर्ष 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश धनै से महज कुछ सौ वोटों से चूक गए किशोर का मन टिहरी से खट्टा हो गया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में टिहरी के बजाए
देहरादून की सहसपुर पर किशोर ने भाग्य आजमाना बेहतर समझा, लेकिन वहां भी नतीजा मनमाफिक नहीं निकला। कांग्रेस के पुराने नेता आर्येंद्र शर्मा की बगावत किशोर की राह का रोड़ा बन गई।
सूत्रों के अनुसार किशोर समर्थक उन्हें दोबारा से टिहरी को राजनीतिक कर्मभूमि बनाए रखने की सलाह दे रहे थे। दरअसल, वर्ष 2017 में हाईकमान ने किशोर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर चकराता विधायक पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह को कांग्रेस की कमान सौंप दी थी। वर्ष 2016 के विभाजन से कमजोर पड़ी कांग्रेस के पुनर्जीवन के लिए प्रीतम चुनचुन कर पुराने और मजबूत नेताओं की घरवापसी करा रहे हैं।
वर्ष 2017 में सहसपुर सीट पर किशोर की हार की मुख्य वजह रहे आर्येंद्र शर्मा की भी वापसी कराई जा चुकी है। शर्मा तब से ही सहसपुर में काफी सक्रिय हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हें सहसपुर के टिकट का वादा भी मिल चुका है।
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में आते बदलाव भी किशोर की टिहरी वापसी की एक बड़ी वजह के रूप में देखे जा रहे हैं। मालूम हो कि कांग्रेस हाईकमान के विश्वसनीयों में शुमार रहे किशोर वर्ष 2002, वर्ष 2007 में टिहरी से चुनाव जीते थे।
वर्ष 2002 से 2004 तक वो तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार में औद्योगिक विकास राज्यमंत्री भी रहे। लेकिन वर्ष 2012 में टिहरी सीट और वर्ष 2017 में सहसपुर सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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