टिहरी गढ़वाल
दहशत: विभागों की लापरवाही ग्रामीणों पर पड़ रही भारी, करोड़ो की परियोजना सहित डूबी फसलें, मकानों पर पड़ी दरारें…
टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध झील का जलस्तर बढ़ाये जाने के बाद आसपास के गांवों में जमीन धंसने व मकानों में दरारें आने की समस्या पैदा हो गई है। वहीं पर्यटक विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से बनाए गए व्यू प्वाइंट और हेलीपैड डूब गए हैं। नंदगांव समेत अन्य क्षेत्रों में झील किनारे लगाई ग्रामीणों की फसलें भी पानी में डूब गई हैं। ग्रामीणों ने जल्द ही विस्थापन न किए जाने पर आंदोलन का एलान किया है। साथ ही प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाए है। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने मानकों को ताक पर रखकर इस व्यू प्वाइंट को 835 आरएल मीटर के नीचे बनाया गया था। इस कारण करोड़ों की लागत से बनी सरकारी संपत्ति डूब गई।
आपको बता दें कि टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से एक तरफ जहां टीएचडीसी प्रबंधन ज्यादा बिजली उत्पादन कर पा रहा है, वहीं झील से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम से लगभग 80 करोड़ की लागत से बनाए गए व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड भी डूब गए हैं। जिस पर ग्रामीणों ने पर्यटन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है।उन्होंने कहा जब टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने का पहले से ही तय था तो आखिर विभाग ने सरकारी पैसे को बर्बाद करके 835 आरएल मीटर से नीचे यह संपत्ति क्यों बनाई। इन मामले की जांच होनी चाहिए।अभी तो 828 आरएल मीटर पानी आने से यह बुरा हाल है। जब 830 आरएल मीटर तक जलस्तर बढ़ेगा तो फिर आप समझ सकते हैं कि कितना बुरा हाल होगा। अगर 830 आरएल मीटर तक जलस्तर पहुंचता है तो पर्यटन विभाग द्वारा बनाए गए आस्था पथ, 2 व्यू प्वॉइंट, रेलिंग और हेलीपैड सब डूब जाएंगे।
बता दें कि टिहरी बांध झील में गत वर्षो तक 828 मीटर तक ही पानी भरा जाता था। लेकिन इस वर्ष केन्द्र सरकार ने टिहरी झील को 830 मीटर तक भरने की अनुमति टीएचडीसी प्रबंधन को दी है। टिहरी झील का जलस्तर 828.30 मीटर तक पहुंच गया, जबकि बांध की झील से 299 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं मामले में टीएचडीसी ने अपना पल्ला झाड़ा लिया है। टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना का कहना है कि 835 मीटर से नीचे जितनी भी संपत्ति है, वह टिहरी बांध परियोजना की है। किसी भी विभाग द्वारा 835 आरएल मीटर से नीचे कोई भी सरकारी और अर्धसरकारी संपत्ति बनाता है और वह डूब जाती है तो उस पर टीएचडीसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है। न ही उस नुकसान का कोई मुआवजा देगी। जो भी विभाग 835 आरएल मीटर से नीचे कोई भी संपत्ति बनाता है तो उसकी जिम्मेदारी उसी विभाग की होगी।
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