टिहरी गढ़वाल
Uttarakhand News: जहां एक माह बाद मनाई जाती है दीपावली, जानिए मान्यता और खासियत…
Uttarakhand News: पूरे देश में जहां दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या 23-24 अक्टूबर को मनाई जा चुकी है। वहीं देवभूमि उत्तराखंड का एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां ठीक एक माह बाद मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या यानी 22- 23 नवंबर को (बग्वाल) दीपावली मनाई जा रही है। वहीं इष्ट देव गुरु कैलापीर देवता की राजकीय बग्वाल बलराज मेला महोत्सव पौराणिक तीर्थ धाम बूढ़ाकेदार में 24 -25 -26 नवंबर को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। उत्तराखंड राज्य के टिहरी एवं उत्तरकाशी जिले के 180 गांव के लोग इस दीपावली की तैयारियों में इन दिनों खासे मशगूल है।
इस पर्वतीय पर्व ( बग्वाल) दीपावली मनाने के लिए देश के विभिन्न शहरों में रह रहे। यहां के निवासियों के साथ ही सात समुंदर पार रोजगार कर रहे प्रवासी उत्तराखंडयों का पहुंचने का सिलसिला आज भी जारी है। स्थानीय बुजुर्गों के मुताबिक इस दीपावली की परंपरा लगभग 500 वर्ष पुरानी है। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि 16 वीं शताब्दी में गढ़वाल नरेश महिपाल शाह के समय उत्तराखंड पर गोरखा राजाओं ने आक्रमण किया था। उस समय गढ़वाल के कई बीर भड( योद्धा वीर पुरुषों )ने इस लड़ाई में गढ़वाल नरेश का साथ दिया जिसमें मलेथा के माधो सिंह भंडारी भी शामिल थे।
बताते हैं कि क्षेत्र के प्रमुख आराध्य देव गुरु कैलापीर देवता ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई राजमानी( राजा के माने हुए) गुरु कैलापीर देवता के युद्ध में सक्रिय होते ही टिहरी के बूढ़ाकेदार तथा उत्तरकाशी के( 90 झूला) यानी 180गांव के प्रत्येक परिवार के लोग युद्ध में कूद पड़े परिणाम स्वरूप गोरखा राजाओं को मुंह की खानी पड़ी और गढ़वाल नरेश महिपाल शाह की भारी जीत हुई। इस जीत पर खुश होकर गढ़वाल नरेश ने गुरु कैलापीर देवता को टिहरी जिले के कुश कल्याण से लेकर थाती बूढ़ाकेदार तक वा उत्तरकाशी जिले के गाजणा कठूड, नेल्ड कठूड, क्षेत्र के 180 से अधिक गांव भेंट स्वरूप जागीर में दिए।
युद्ध के समय क्योंकि दीपावली थी और टिहरी उत्तरकाशी के गांव के लोग युद्ध में शामिल थे। इसलिए उस समय क्षेत्र में कार्तिक माह की दीपावली नहीं मनाई जा सकी। दीपावली के ठीक एक महा बाद मार्गशीर्ष महा में गुरु कैलापीर देवता के नेतृत्व में सभी लोग युद्ध जीतकर खुशी-खुशी अपने घर पहुंचे युद्ध जीतने की खुशी में टिहरी गढ़वाल के थाती बूढ़ाकेदार, जौनपुर, थौलधार, प्रताप नगर के मदन नेगी, उत्तरकाशी के रवाई, गाज़णा कठूड, नेल्ड कठूड, श्रीनगर के मलेथा, के साथ ही कुमाऊं के कुछ गांव में यहां भव्य दीपावली मनाई गई यह परंपरा पिछले 500 वर्षों से आज भी बदस्तूर जारी है।
जिससे इन क्षेत्रों में बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। बूढ़ाकेदार बलराज मेले में 24 नवंबर को शिविर कैंप भी लगाए जाएंगे। जिसमें पोस्ट ऑफिस द्वारा आधार कार्ड भी बनाए जाएंगे। वहीं समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि विभाग, उद्यान विभाग,पशुपालन विभाग, द्वारा शिविर लगाया जाएगा।
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