उत्तरकाशी
त्योहार: इको फ्रेंडली राखियों से सजेगी भाई की कलाई, जानिए क्या विशेषता है इस राखी की…
उत्तरकाशी: रक्षाबंधन के लिए बाज़ारों में अलग अलग तरह की राखियां सजी हुई है। बाज़ारों में रौनक देखने को मिल रही है।वहीं उत्तरकाशी में इको फ्रेंडली राखियां तैयार की गई हैं। जो कागज या प्लास्टिक से नहीं, बल्कि गोबर से बनाई गई हैं। भाइयों की कलाई पर इस बार विदेशी नहीं बल्कि जिले में बनाई गई यह राखियां बांधी जाएंगी। राखियों की डिमांड सी जिले या उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि मुंबई दिल्ली से भी आ रही है। ये राखियां देखने में बेहद खूबसूरत है। जिसे खासा पसंद किया जा रहा है।
बता दें कि उत्तरकाशी के अजय प्रकाश बडोला ने गोबर से बनी राखियां बनाई है। उन्होंने यह राखियां प्रयोग के तौर पर तैयार की थीं। इन राखियों में हमारी भारतीय संस्कृति का स्वरुप है। जो कि चाइनीज राखियों से कहीं ज्यादा बेहतर और सुंदर हैं। इन राखियों की मांग इतनी बढ़ गई है कि वह दिन-रात काम कर रहे है। गाय के बनी गोबर की ये राखी शुद्ध और सुंदर है। इन राखियों के साथ चावल भी रखे गए हैं। राखियों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि दिल्ली मुंबई से राखियों की मांग आ रही है। गाय के गोबर से बनी राखियों का विशेष महत्व है। जो भी यह राखी बांधेगा, उसके हाथ से ये राखी टच होगी उसको शान्ति मिलेगी। क्योंकि राखी बनाने में गोबर, तुलसी, गंगाजल, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है। जिससे राखी आकर्षक नजर आए।
गौरतलब है कि 22 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। हर साल सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर भाई- बहन का यह पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन भी देता है। बहने भाईयों की कलाई पर बांधने के लिए गोबर की राखियों को पसंद कर रही है ।
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