देहरादून
खुशखबरी: उत्तराखंड में बीएड डिग्रीधारकों को राहत, शिक्षक बनने का सपना होगा पूरा…
देहरादून: उत्तराखंड के बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट नैनीताल ने बड़ी राहत दी है। वह अभ्यर्थी जो 2011 से पहले के बीएड डिग्रीधारक हैं और स्नातक में 50 फीसदी से कम अंक प्राप्त किए हैं। अब वह अभ्यर्थी भी सहायक अध्यापक प्रारंभिक शिक्षा के खाली पदों की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे।
हाईकोर्ट ने इन बीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक के खाली चल रहे करीब दो हजार पदों पर आवेदन करने के लिए योग्य माना है। हाईकोर्ट ने इसका जनरल आदेश पारित करते हुए शिक्षा विभाग से कहा है कि इस संबंध में अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराएं। ताकि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले अभ्यर्थियों तक भी सूचना पहुंच सके।
दरअसल शिक्षा विभाग ने 20 नवंबर को सभी जिलों में सहायक अध्यापक के करीब दो हजार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। जिसमें आवेदन के लिए अभ्यर्थी का स्नातक में 50 फीसदी अंकों के साथ बीएड डिग्रीधारी होना अनिवार्य किया गया था। नियम को लागू करते हुए एनसीटीई की गाइडलाइंस का हवाला भी दिया गया था। शिक्षा विभाग की इस गाइडलाइन ने अभ्यर्थियों की परेशानी बढ़ा दी थी। जो अभ्यर्थी बीएड डिग्रीधारी थे परंतु ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक नहीं ला पाए थे, वो भर्ती में हिस्सा नहीं ले सकते थे।
जिसको लेकर करीब 50 अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 50 फीसदी अंकों की बाध्यता को चुनौती दी थी। अभ्यर्थियों ने कहा कि उन्होंने बीएड और ग्रेजुएशन साल 2011 से पहले कर किया है, इसलिए नया नियम उन पर लागू नहीं होता।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बीएड डिग्रीधारक राहत महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने स्नातक की परीक्षा में 50 फीसदी से कम अंक प्राप्त किए हैं। अब ये अभ्यर्थी भी शिक्षा विभाग की भर्ती परीक्षा में हिस्सा ले सकेंगे। सरकारी स्कूल में शिक्षक बनकर अपना सपना पूरा कर सकेंगे।
बुधवार को मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ में हुई। सुनवाई के बाद अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली।
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