देहरादून
असमंजस: शादी का मुहूर्त करीब आते ही लगा नाइट कर्फ्यू, शादी की चमक पड़ सकती है फीकी…
देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को राज्य सचिवालय में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोना को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। प्रदेश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार ने देहरादून में नाइट कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है। यह नाइट कर्फ्यू 30 अप्रैल तक रात 10 से सुबह 5 बजे के बीच लागू रहेगा। कोरोना के बढ़ते केस के बाद इस तरह की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी। नाइट कर्फ्यू ने हालांकि उनकी टेंशन बढ़ा दी है जिनके घर में इसी महीने शादी होने वाली है। अप्रैल में जल्द शादियों का सीजन शुरू हो रहा है। शादी-ब्याह की तारीख करीब आते ही नाइट कर्फ्यू के ऐलान से देहरादून वासियों की टेंशन बढ़ गई है।
शादी-ब्याह के लिए अलग से क्या कोई गाइडलाइंस होगी और क्या मेहमानों की संख्या सीमित रखी जायेगी। यह सोच कर देहरादून नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों की टेंशन बढ़ रही है। अभी तक शादी समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या पर कोई पाबंधी नहीं थी पर देहरादून में जिस तरह से कोरोना के केस सामने आ रहे हैं उसको देखकर लगता है कि इस पर भी फैसला लिया जा सकता है। पिछले साल भी अप्रैल के महीने में लॉकडाउन की वजह से काफी शादियां टाल दी गई थी। इसके साथ ही राजधानी के रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशन और एयरपोर्ट में बाहर से आने वाले मुसाफिरों की भी दिक्कत बढ़ सकती हैं। ट्रैफिक मूवमेंट पर भले ही रोक न हो लेकिन देर रात स्टेशन पर सार्वजनिक और दूसरे वाहनों की कमी से उनको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
आपको बता दें कि नाइट कर्फ्यू को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। कई लोगों का मानना है कि नाइट कर्फ्यू या वीकेंड कर्फ्यू इतने प्रभावी नहीं है। देहरादून में क्या कोई असर होगा नाइट कर्फ्यू का? इस सवाल का जवाब तो कोई नहीं जानता। बस इतना ही कह सकते हैं कि नाईट कर्फ्यू से फर्क पड़ता है या नहीं, ये देखने के लिए अभी इंतजार करना होगा। नाइट कर्फ्यू बहुत कठोर कदम नहीं है, रात 10 बजे तक लोग अमूमन अपना काम खत्म कर लेते हैं।
आपको यह भी बता दें कि नाइट कर्फ्यू लगाने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी। दरअसल रात को काफी बड़ी संख्या में पार्टियां, शादियां होंगी और इस दौरान अनावश्यक तौर पर लोग इकट्ठे होते हैं। ऐसे समारोह और पार्टियों में लोग बेहद क्लोज कॉन्टेक्ट में आ जाते हैं, इससे बचाने के लिए नाइट कर्फ्यू का फैसला लिया जाता है। ऐसी जगह पर अगर एक व्यक्ति को कोरोना हो गया और वहां 100 लोग मौजूद हैं तो सभी को कोरोना होने की संभावना रहती है जो घातक सिद्ध हो सकता है।
ज्यादातर शादियां रात में होती हैं:-
मिली जानकारी के अनुसार देहरादून में ज्यादातर शादियों के कार्यक्रम रात को ही होते हैं। शादी के घरों में काफी ऑर्डर, बुकिंग पहले ही हो जाती हैं। शुक्रवार को राज्य सरकार ने नाईट कर्फ्यू लगा कर उन परिवारों की दिक्कतें बढा दी हैं, जिनके घर में इस माह शादी होने वाली हैं। उनका सोचना अब ये है कि सरकार शादियों के लिए क्या गाइडलाईन बनाती है। साथ ही जो लोग शादी के सीजन में अपना रोजगार चलते हैं या काम करते हैं वह लोग भी खासे परेशान हैं। उनको भी अपनी रोजी रोटी पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है। इससे शादियों में कैटरिंग का कार्य करने वाले, बेंडिंग पॉइंट, इस कार्य से जुड़े काफी लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
क्या शादी समारोह को नाइट कर्फ्यू से छूट मिलेगी?
सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि अप्रैल के महीने में शादियों का सीजन शुरू हो रहा है। ऐसे में क्या शादी समारोह को नाइट कर्फ्यू से छूट मिलेगी। हमें कोरोना की गंभीरता को समझने की जरूरत है। क्योंकि देहरादून में हर दिन 300 से 400 तक मामले दर्ज हो रहे हैं और प्रदेश में 700 से लेकर 1100 तक मामले मिल रहे हैं। जिस तरह से कोरोना बढ़ रहा है ऐसा लगता है कि पुराना रिकॉर्ड भी तोड़कर आगे न बढ़ जाए। अगर देहरादून में संक्रमण दर तेजी से बढ़ती है तो हालात खराब हो जाएंगे।
क्या राजनीतिक दलों पर मेहरबान है कोरोना:-
सबसे बड़ी बात यह है कि आमजन के लिए तो नाईट कर्फ्यू, गाइडलाइन, साप्ताहिक बंदी और शारीरिक दूरी जरूरी है परंतु ठीक उसके विपरीत हमारे नेता रैली कर रहे हैं, कार्यकर्ता मिलान समारोह कर रहे हैं। जनता को इकठ्ठा कर जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। क्या हमारे प्रदेश के नेताओं पर कोरोना मेहरबान है? क्या उनको कोरोना का भय नहीं? या इनकी जनसभाओं में कोरोना नहीं फैलता। सरकार को सबसे पहले इस तरह की जनसभाओं पर पाबंधी लगानी चाहिए। यह जनता के लिये घातक सिद्ध हो सकता है। देहरादून सहित प्रदेश में कोरोना अपने भारी पैर पसार रहा है तो नेताओं को भी जनता की सुरक्षा के लिए इस तरह की रैलियों से दूरी बनानी चाहिए।
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