देहरादून
उत्तराखंड: जल्द हो सकता है मंत्रिमंडल का विस्तार, कुछ को मिलगी जगह, कुछ की छिनेगी कुर्सी….
देहरादून: पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के दसवें मुख्यमंत्री बन गए। अगले छह महीने के भीतर उन्हें विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी। तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही बीजेपी ने सबको चौंका दिया था। मुख्यमंत्री पद को लेकर कई नाम चर्चा में थे। लेकिन तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनेंगे इसका अंदाजा कोई नहीं लगा पाया। फिलहाल खबर यह आ रही है कि एक दो दिन में तीरथ सिंह रावत अपनी नई टीम का ऐलान कर सकते हैं। खबर ये भी है कि त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में शामिल रहे कुछ मंत्रियों को तीरथ सिंह रावत अपनी टीम में बरकरार रख सकते हैं। अब गलियारों में चर्चा है कि तीरथ मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलेगी और किसे नहीं, ये अब भी रहस्य बना हुआ है। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में 3 पद सालों तक खाली रहे, उनकी कुर्सी खिसकने की ये भी एक अहम वजह रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। बदले चुनावी समीकरण के बाद अब ये चर्चाएं जोरों पर हैं कि कांग्रेस से आए कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की तैयारी है। त्रिवेंद्र सरकार में शामिल 9 मंत्रियों में से 5 मंत्री पद कांग्रेस से आए नेताओं को दिए गए थे। पहले सीनियर नेताओं को तरजीह नहीं मिली, ऐसे में उन्हें तीरथ मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। ऐसे नेताओं में बिशन सिंह चुफाल का नाम सबसे आगे है। वो डीडीहाट से लगातार 5 बार विधायक रह चुके हैं। बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास, बलवंत भौर्याल, चंद्रा पंत और ऋतु खंडूड़ी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं हैं। नये मुख्यमंत्री का मंत्रिमंडल भी नया होगा। कुछ विधायकों में जहां मंत्री पद पाने की आस जगी है, तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें कुर्सी छिनने का डर सता रहा है। सूत्रों का कहना है कि तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट का गठन अगले दो दिन में हो सकता है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व से इस बारे में बातचीत चल रही है। आपको बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 70 है। नियम के मुताबिक राज्य में मुख्यमंत्री को छोड़कर 11 विधायक ही मंत्री बन सकते हैं। चार साल पहले 2017 में जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार बनी थी तब नौ मंत्रियों ने शपथ ली थी। जिनमें प्रकाश पंत, सतपाल महाराज, मदन कौशिक, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्या, अरविंद पांडेय और सुबोध उनियाल ने कैबिनेट मंत्री के रुप में शपथ ली थी। जबकि राज्य मंत्री के रूप में धन सिंह रावत और रेखा आर्या ने शपथ ली थी। तभी से दो मंत्रियों की जगह खाली चल रही थी। डेढ़ साल पहले प्रकाश पंत के निधन के बाद से एक और सीट खाली हो गई। इस तरह तीन मंत्रीपद आखिर तक खाली ही रहे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के बीच संतुलन कायम करने के साथ ही जातीय समीकरणों को साधने की भी है। जाहिर है चुनावी साल में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल अपनी संतुलित टीम बनाने की है।
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