देहरादून
योजना: उत्तराखंड में उड़ान भरेंगे सी प्लेन, केंद्र सरकार ने बनाया मास्टर प्लान….जानिए खूबियां…
देहरादून: मोदी सरकार अब देश के प्रमुख शहरों के बीच सी-प्लेन सेवा शुरू करने की योजना बना रही है। पोत परिवहन व जलमार्ग मंत्रालय ने इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड के जरिये इस परियोजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। इस कंपनी का प्रशासनिक नियंत्रण मंत्रालय के पास ही रहेगा।
गुजरात में देश की पहली सी-प्लेन सेवा शुरू हो चुकी है और उत्तराखंडवासी भी जल्द ही टिहरी झील में भी सी-प्लेन को उड़ान भरते दिखेंगे। गुजरात की तर्ज पर उत्तराखंड में सी-प्लेन सेवा शुरू करने की योजना है। सरकार ने दिल्ली से अयोध्या और उत्तराखंड तक सी-प्लेन सेवाएं शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। उत्तर प्रदेश में अयोध्या और उत्तराखंड में टिहरी और श्रीनगर को सी-प्लेन रूट में शामिल किया जा सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने सी-प्लेन सेवा शुरू करने में दिलचस्पी रखने वाली कंपनियों से इसे लेकर जानकर मांगी है। योजना के मुताबिक दिल्ली को सी-प्लेन सर्विस का सेंटर बनाने का सुझाव दिया गया है। मंत्रालय के मुताबिक सी-प्लेन सेवा के जरिए दिल्ली को नजदीकी राज्यों से जोड़ा जाएगा। उत्तराखंड में टिहरी और श्रीनगर को सीप्लेन रूट में शामिल किया जा सकता है।
ये रूट श्रीनगर आगे केदारनाथ और बद्रीनाथ से भी जोड़ने की योजना है। यहां सागरमाला सीप्लेन सर्विस यानी एसएसपीएस द्वारा उड़ान योजना के तहत सी-प्लेन सर्विस उपलब्ध कराई जाएगी। आपको बता दें कि प्रदेश में टिहरी से अन्य स्थानों के बीच सी-प्लेन का संचालन किया जाना है। इन प्लेनों के संचालन से एक और बड़ा फायदा होगा। सी-प्लेन संचालन शुरू होने से रन-वे आदि के निर्माण में जो भारी-भरकम खर्चा आता है, उससे बचा जा सकता है। केवल टिहरी झील ही नहीं गूलरभोज डैम और नैनी झील भी इसके लिए उपयुक्त है। पहले फेज में टिहरी में सी-प्लेन सेवा शुरू करने की तैयारी है।
सी-प्लेन सेवा देश की अर्थव्यवस्था और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में गेम चेंजर साबित हो सकती है। इस सेवा के जरिये यात्रियों और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुंचाया जा सकेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। देश के कई धार्मिक और पर्यटन स्थल सीधे सीप्लेन सेवा से जुड़ सकेंगे, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को नई ऊंचाई मिलेगी। यहीं नहीं पहाड़ी, दूरस्थ क्षेत्रों और नदी व जलाशयों के बीच एयर कनेक्टिविटी भी दुरुस्त होगी। इसके अलावा कारोबारी अपना माल सुरक्षित और आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा पाएंगे।
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