रुद्रप्रयाग
नुकसान: स्वरोजगार पर आमद हुए जंगली जानवर, चंद समय मे तबाह हुई तीन भाइयों की आत्म निर्भर की कहानी
रुद्रप्रयाग: जखोली-वैश्विक महामारी कोरोना के बाद गांव को लौटे कई प्रवासी जहां अभी भी स्वरोजगार के लिए सरकारी सहायता के भरोसे बैठे हैं
तो वहीं विकासखण्ड़ जखोली ग्राम पंचायत मखेत के तीन भाईयों ने अपने ही गांव में स्वरोजगार की पहल की ताकि वह आपने परिवार का भरण पोषण कर सके।
विकासखंड जखोली के अंतर्गत मखेत ग्राम पंचायत में सुजान सिंह, अमन सिंह, रविन्द्र बुटोला तीन भाईयों ने बेरोजगारी के दौरान बिना किसी सरकारी आर्थिक सहायता के आजीविका चलाने के लिए गांव में डेढ़ लाख रुपए की लागत से एक पोल्ट्री फार्म की शुरुआत की।
इस पोल्ट्री फार्म में करीब 150 मुर्गी के चूजे ला कर पालने शुरु किए, वक़्त के साथ साथ तीनों भाईयों की मेहनत रंग ला रही थी। मुर्गी के चूजे कुछ दिनों में ही काफी बड़े हो गए।
लेकिन तीनों भाईयों की मेहनत पर किसी अज्ञात जंगली जानवर की नजर लग गई। बीती रात फार्म के अंदर 120 मुर्गियों को किसी अज्ञात जंगली जानवर ने मारकर अपना निवाला बना लिया जिसमें से 4-5 ही मुर्गे ही जीवित बच पाए।
तीनों भाईयों को इसकी जानकारी सुबह मुर्गी फार्म में पहुंचने के बाद पता चली कि उनकी मेहनत और आजीविका के सपने को किसी अज्ञात जानवर ने ध्वस्त कर दिया है।
प्रवासी भाईयों ने इस घटना की जानकारी(सूचना) उपजिलाधिकारी जखोली नंदन सिंह नगण्याल को लिखित रूप में दी।
उपजिलाधिकारी को लिखित पत्र में जंगली जानवर द्वारा मारी गई मुर्गियों के उचित मुआवजा देने की बात कही गई है।
वहीं प्रवासी भाईयों का कहना है कि हमने पहले ही मुर्गिफार्म खोलने के लिए खंड विकास कार्यालय जखोली में आवेदन लगा रखा था लेकिन आवेदन जल्द स्वीकृत न होने के कारण स्वयं की जमा पूंजी से मुर्गी फार्म खोला था।
मखेत गांव की प्रधान शशि देवी ने कहा कि खंड विकास अधिकारी व वनक्षेत्राधिकारी से अनुरोध है कि मुर्गी फार्म में मारे गए मुर्गों की जांच करवाएं और साथ ही प्रवासी भाईयों को उचित मुआवजा दिया जाए।
ये देश का दुर्भाग्य है कि पूरे देश में आए दिन स्वरोजगार और आत्मनिर्भर होने का नारा दिया जाता है परंतु जो युवा अपना रोजगार स्थापित करना चाहते हैं
उनको स्वरोजगार ऋण भी नहीं मिलता। प्रवासी भाईयों ने तीन महीने पहले स्वरोजगार ऋण के लिए अप्लाई किया था जो अभी तक नहीं मिला। ऐसे में कैसे राज्य के युवा अपना रोजगार स्थापित कर पायेंगे और कैसे बनेंगे आत्मनिर्भर।
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